बेटी मन ल बचाए बर

अपन रखवार खुद बनव,
छोंड़व सरम लजाए बर।
घर घर मा दुस्साशन जन्मे,
अब आही कोन बचाए बर।।

महाकाली के रूप धरके,
कुकर्मी के सँघार करव।
मरजादा के टोर के रुंधना,
टँगिया ल फेर धार करव।।
अब बेरा आगे बेटी मन ला,
धरहा हँसिया ल थम्हाए बर…
अपन रखवार…..

बेटी के लहू मा, भुँइया लिपागे,
दुस्साशन अब ले जिन्दा हे।
होगे राजनीति बोट के सेती,
मनखेपन(मानवता)शर्मिन्दा हे।।
भिर कछोरा रन मा कूदव,
महाभारत सिरजाए बर…
अपन रखवार…..

बेटी के लाज के ठेका लेवईया,
दुर्योधन मन थानेदार होगे।
आफिस मन मा शकुनी बइठे,
अउ अँधरा भैरा सरकार होगे।।
हाँका पारव ,बैरी मन ला,
फाँसी मा लटकाए बर….
अपन रखवार…

राम कुमार साहू
सिल्हाटी, कबीरधाम
मो. नं. 9340434893

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